अक्सर व्यक्ति भागदौड़ भरी जिंदगी से परेशान रहता है | वह ये चाहता है की जीवन में चाहे पेसो की किल्लत आ जाए लेकिन उसका शरीर तंदुरुस्त रहे | इसके लिए वह दिन रात एक्सरसाइज और व्यायाम जैसे नुस्खे अपनाता है | जो उसके लिए सही भी है | लेकिन आज हम आपको रामायण की ऐसी चोपाई बताने जा रहे है जो शरीर की स्ट्रेस, डिप्रेशन और अनेक मानसिक बिमारियों का इलाज करती है | आईये जाने...
भारत देश ऋषि मुनियों की भूमि है | जहाँ ऋषि मुनि ही थे जिन्होंने दुनिया को सभ्यता का पाठ पढ़ाया और ज्ञान को एक अलग ही भाषा में परिभाषित किया | वेद, उपनिषद, आरण्यक और वेदांग हिन्दू धर्म की आत्मा कहलाते है | स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने भी वेदो को ही ज्ञान का स्रोत माना है | लेकिन यदि ऐसा कहा जाए की रामायण और श्रीमद्भागवत गीता में इन धर्म ग्रंथो का सार छिपा हुआ है तो कहना गलत नहीं होगा |
हिन्दू धर्म ग्रंथो में ज्ञान और विज्ञान का एक अच्छा मिलान देखा गया है | यदि इसे उदारहण के रूप में समझ जाये तो गले लगने की प्रथा का प्रारम्भ सबसे पहले हिन्दू धर्म ने किया था | आपको जानकार ये हैरानी होगी की गले लगना कोई प्रथा नहीं है बल्कि एक इलाज है | यदि किसी मानसिक रोगी को कोई स्वास्थ्य व्यक्ति गले लगाता है तो उनकी ऊर्जाओं का आदान-प्रदान होता है जिससे रोगी की मानसिक बीमारी ठीक हो जाती है |
हिन्दू धर्म की प्रथाओं में ऐसे बहुत से रहस्य छिपे हुए है जिनसे दुनिया आज भी अनभिज्ञ है लेकिन यह सिद्ध करते है की हिन्दू धर्म ज्ञान और विज्ञान की योजक कड़ी है | ऐसा कहा जाता है की रामायण हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र ग्रंथो में से एक है | इसकी हर चोपाई में जीवन का रहस्य छिपा हुआ है | विद्वानों की ऐसी मान्यता है की यह रामायण की इस चोपाई का सोते समय प्रतिदिन जाप किया जाये व्यक्ति कभी भी मानसिक बीमारी का रोगी नहीं होगा |
जो प्रभु दीनदयाला कहावा | आरति हरन बेद जस गावा | | जपहिं नामु जन आरति भारी | मिटहिं कुसंकट होही सुखारी | | दीनदयाल बिरद संभारी | हरहु नाथ मम संकट भारी | |
इस चोपाई को प्रतिदिन रात्रि के समय खाना खाने के पश्चात् पढ़ना चाहिए | इससे आपके शरीर में होने वाली अनेक मानसिक बीमारियां स्वतः ही दूर हो जाएंगी | इसे खाना खाने के कुछ समय बाद ध्यान की अवस्था में 7 बार दोहराये | इससे आपके घर के संकट भी दूर होंगे और सुख समृद्धि भी बनी रहेगी |